'हम बचे रहेंगे' पर कुंदन कुमार
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"हम बचे रहेंगे"
विमलेश त्रिपाठी की स्फूर कविताओं , छोटी कविताओं और लम्बी कविताओं का एक
नायाब काव्य संग्रह है ,जिसमें उनके गॉव की छवि बखूबी दिखती है / सच तो यह
है कि बिहार की देहाती भूमि से चलकर महानगर तक की यात्रा में जितने अनुभव
कवि ने पायें हैं सभी को करीने से अपनी कविताओं में चित्रित किया है , जो
काबिले तारीफ है / इस काव्य संग्रह में पाँच दर्जन से अधिक कवितायेँ हैं ,
जो मुक्त छंद की समसामयिक कवितायेँ हैं / शब्द विन्यास कमाल के हैं /कुछ
कविताओं में बिहार की मिट्टी से जुड़े शब्द भी इस्तेमाल हुए हैं ,जो
कविताओं को और भी सुन्दर बना देते हैं/यथा-खिसियाना ,भुसौल , खिलंदर ,बुतरू
आदि /लोकौक्ति का भी प्रयोग हुआ है , यथा-" घो-घो रानी , कितना पानी"/
स्फूर कविताओं की श्रेणी में रखी जाने वाली कविताओं में ये प्रमुख हैं-
सपना, यकीन, तुम्हारे लिए, अर्थ विस्तार,कविता,यह दुःख,ईश्वर हो जाऊंगा आदि
/ छोटी कविताओं की श्रेणी में रखी जाने वाली कविताओं में ये प्रमुख हैं
-बसंत,एक कविता जन्म ले रही है आदि/ लम्बी कविताओं की श्रेणी में रखी जाने
वाली कविताओं में ये प्रमुख हैं -हम बचे रहेंगे ,बूढ़े इन्तजार नहीं
करते,कविता से लम्बी उदासी ,पत्नी आदि/ "बूढ़े इन्तजार नहीं करते" एक
उच्चस्तरीय कविता है / "कहाँ जाऊं " कविता में एक मार्मिक दर्शन है /
"पत्नी" कविता नारी के काफी करीब है, जो नारी की पूरी गाथा कहती है / सच तो
ये है कि विमलेश की सभी कवितायेँ शब्दों के नए चलन और बिम्बों के कारण
चमत्कार करती हैं / काव्य संग्रह पठनीय और संग्रहनीय है/
-- कुंदन कुमार / व्याख्याता /लेखक /कहानीकार
हम बचे रहेंगे – विमलेश त्रिपाठी {कविता संग्रह}
एफ-3/78-79, सेक्टर-16, रोहिणी, दिल्ली - 110089.
दूरभाष ः 011-27891526
इ-मेल ः nayeekitab@gmail.com
मूल्यः दो सौ रूपए
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