हम बचे रहेंगे


Sunday, March 25, 2012


Posted by विमलेश त्रिपाठी at 4:45 AM 1 comment:
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हम बचे रहेंगे

सब कुछ के रीत जाने के बाद भी
मां की आंखों में इंतज़ार का दर्शन बचा रहेगा

अटका रहेगा पिता के मन में
अपना एक घर बना लेने का विश्वास
ढह रही पुरखों की हवेली के धरन की तरह

तुम्हारे हमारे नाम के
इतिहास में गायब हो जाने के बाद भी
पृथ्वी के गोल होने का मिथक
उसकी सहनशक्ति की तरह बचा रहेगा

और हम बचे रहेंगे एक दूसरे के आसमान में
आसमानी सतरंगों की तरह ।

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