Thursday, August 9, 2012

भागलपुर से कुंदन कुमार

'हम बचे रहेंगे' पर कुंदन कुमार
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"हम बचे रहेंगे" विमलेश त्रिपाठी की स्फूर कविताओं , छोटी कविताओं और लम्बी कविताओं का एक नायाब काव्य संग्रह है ,जिसमें उनके गॉव की छवि बखूबी दिखती है / सच तो यह है कि बिहार की देहाती भूमि से चलकर महानगर तक की यात्रा में जितने अनुभव कवि ने पायें हैं सभी को करीने से अपनी कविताओं में चित्रित किया है , जो काबिले तारीफ है / इस काव्य संग्रह में पाँच दर्जन से अधिक कवितायेँ हैं , जो मुक्त छंद की समसामयिक कवितायेँ हैं / शब्द विन्यास कमाल के हैं /कुछ कविताओं में बिहार की मिट्टी से जुड़े शब्द भी इस्तेमाल हुए हैं ,जो कविताओं को और भी सुन्दर बना देते हैं/यथा-खिसियाना ,भुसौल , खिलंदर ,बुतरू आदि /लोकौक्ति का भी प्रयोग हुआ है , यथा-" घो-घो रानी , कितना पानी"/ स्फूर कविताओं की श्रेणी में रखी जाने वाली कविताओं में ये प्रमुख हैं- सपना, यकीन, तुम्हारे लिए, अर्थ विस्तार,कविता,यह दुःख,ईश्वर हो जाऊंगा आदि / छोटी कविताओं की श्रेणी में रखी जाने वाली कविताओं में ये प्रमुख हैं -बसंत,एक कविता जन्म ले रही है आदि/ लम्बी कविताओं की श्रेणी में रखी जाने वाली कविताओं में ये प्रमुख हैं -हम बचे रहेंगे ,बूढ़े इन्तजार नहीं करते,कविता से लम्बी उदासी ,पत्नी आदि/ "बूढ़े इन्तजार नहीं करते" एक उच्चस्तरीय कविता है / "कहाँ जाऊं " कविता में एक मार्मिक दर्शन है / "पत्नी" कविता नारी के काफी करीब है, जो नारी की पूरी गाथा कहती है / सच तो ये है कि विमलेश की सभी कवितायेँ शब्दों के नए चलन और बिम्बों के कारण चमत्कार करती हैं / काव्य संग्रह पठनीय और संग्रहनीय है/                                                    

-- कुंदन कुमार / व्याख्याता /लेखक /कहानीकार



















हम बचे रहेंगे विमलेश त्रिपाठी {कविता संग्रह}
'नयी किताब',  
एफ-3/78-79, सेक्टर-16, रोहिणी, दिल्ली - 110089.
दूरभाष ः 011-27891526
इ-मेल ः nayeekitab@gmail.com
                                                      मूल्यः दो सौ रूपए

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